Rashmi Pandey

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लेखनी प्रतियोगिता -07-Janखत-2022

                            खत

तेरा खत ही तो था,
       इक सहारा मेरा।
भूली बिसरी यादों का,
         वो था खजाना मेरा।

उन्हें देख दिल मचल जाता था,
बांचू कब कहा ये ना समझ आता था।
सबसे प्यारा था,
            वो नजराना मेरा
भूली बिसरी यादों का,
          वो था खजाना मेरा।।

उन खतों से भीनी सी खुशबू आती थी।
सैकड़ों यादे अक्सर ताजा हो जाती थी।
उन दिनों का अनमोल,
            खजाना मेरा।
भूली बिसरी यादों का,
           वो था खजाना मेरा।।

मां का खत हाथों में आता जब।
आंसुओ से चेहरा तर हो जाता तब।
बाबा के आशीषो का,
            खजाना मेरा।
भूली बिसरी यादों का,
         वो था खजाना मेरा।।

सावन में तो आंखें भर भर आती।
कब आएगी राखी खत में तुम्हारी।
भानुमति का वो,
             पिटारा मेरा।
भूली बिसरी यादों का,
          वो था खजाना मेरा।।

तेरा खत ही तो था,
          सहारा मेरा।
भूली बिसरी यादों का,
           वो था खजाना मेरा।।

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8 Comments

Dr. SAGHEER AHMAD SIDDIQUI

08-Jan-2022 12:05 PM

Nice

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Ravi Goyal

08-Jan-2022 09:12 AM

वाह बेहतरीन रचना 👌👌

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Punam verma

08-Jan-2022 08:40 AM

Very nice

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